सुमित्रानंदन पंत,छायावादी युग के एक महान कवि।
सुमित्रानंदन पंत :- जी हाँँ दोस्तो आज हम सुुुमित्रानंदन पंंत के बारे में बात करेंगे। महादेेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,सूर्यकांत
त्रिपाठी निराला के अतिरिक्त जब तक इनका नाम सम्मिलित न किया जाए,तब तक छायावादी युग पूरा नहीं हो सकता।
इनका व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली था। इनका सुुुगठित शरीर, घुँघराले बाल,भोला चेेेहरा,गोरा रंग और लोगों से अलग
श्रेेेणी मेें रखते थे। पद्म भूूषण ,ज्ञानपीठ,साहित्य अकादमी,सोवियत लैंड नेेहरू पुरस्कार पाने वाले ऐसे महान व्यक्तित्व के
धनी सुमित्रानंदन पंत के बारे में चलिए और जानकारी हासिल करते हैंं।
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा :-
(1) इनका जन्म 20 मई,सन् 1990 को कौसानी गाँव,जिला अल्मोडा़ उत्तराखंड में हुआ था।
(2) इनके पिता का नाम श्री गंगा दत्त पंत और सुमित्रा नंदन पंंत अपनेे पिताजी की आठवींं संंतान थे।
(3) इनके जन्म लेनेे केे छ: घंटेे बाद ही इनकी माँ का देहान्त हो गया और इनका पालन-पोषण इनकी दादी द्वारा किया
गया।
(4) इनके बचपन का नाम गोसाई दत्त था, लेकिन पसन्द न होने सेे इन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रा नंदन पंत रख
लिया।
(5) इन्होंंनेे अपनी प्रारंभिक शिक्षा गवर्नमेंट कालेज हाईस्कूल ,अल्मोड़ा से ली।
(6) सन् 1918 में हाईस्कूूूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने हेेतु क्वीन्स कालेज ,काशी मेें दाखिला लेे लिया,जहाँ पर इनके मँँझले
भाई रहा करते थे।
(7) उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु इन्होंने म्योर कालेज, इलाहाबाद में एडमीशन ले लिया।
(8) सन् 1921 में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में असहयोग आंंदोलन की ऐसी बयार चल रही थी,कि चाहे वो कालेज हों या फिर
सरकारी कार्यालय या फिर न्यायायिक विभाग हो,सभी इस आंदोलन मेें कूद पड़े।
(9) इस आंंदोलन में वे भी शामिल हो गए और विश्व विद्यालय की पढ़ाई इन्हें बीच में छोड़नी पड़ी।
(10) इन्होंंने घर पर ही अध्ययन करना शुरू कर दिया और हिंदी,अंग्रेजी,संंस्कृत,बंगाली भाषाओं पर अच्छी पकड़ बना ली।
इनसे जुुड़े और महत्वपूर्ण तथ्य :-
(1) कुछ वर्षों तक येे आर्थिक संकट से जूझते रहे। इसी के चलते इनके पिता का निधन हो गया।
(2) अपनी आजीविका को चलाने हेतु सन् 1931 में अपने मित्र कुँवर सुरेश सिंह के साथ कालाकंकर, प्रतापगढ़ में जा बसे।
(3) महात्मा गाँधी केे सम्पर्क में आते ही इनकी आत्म शक्ति जाग उठी और वहीं से इनके अंदर काव्य चेतना का विकास होने
लगा।
(4) सन्1938 मेें इनके द्वारा मासिक पत्रिका “रूपाभ” का संपादन भी किया गया।
(5) सन् 1950 से 1957 तक ये परामर्शदाता के रूप में आकाशवाणी से भी सम्बद्ध रहे।
(6) सन् 1958 में सुुमित्रानंदन पंत ने कविताओंं का संकलन “चिदंंबरा” प्रकाशित किया और भारत सरकार द्वारा सन्
1968 में इन्हें इसी काव्य संग्रह पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(7) सन् 1960 में इन्होंने “कला और बूढा़ चाँद” लिखा जिस पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।
(8) सन् 1961 में भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्म भूषण की उपाधि से नवाजा गया।
(9) बीच-बीच मेें इनके काफी संग्रह आते रहे। सन् 1964 मेें इन्होंने विशाल महाकाव्य “लोकायतन” की रचना कर डाली।
(10) प्रकृति के प्रेेमी और नारी के प्रति सम्मान भाव रखने वाले सुमित्रानंदन पंत जीवन भर अविवाहित रहे।
(11) इनका देहांत 29 सितंबर 1977 को इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश में हो गया।
(12) कक्षा चार में जब ये सात साल के थे, तभी से इन्होंने कविता सृजित करना प्रारंभ कर दिया था।
(13) इनकी साहित्यिक यात्रा तीन खंडों मेें विभाजित मानी जा सकती है। पहली छायावादी,दूसरी समाजवादी आदर्शोंं से
प्रेरित प्रगतिवादी और तीसरे अरविंद दर्शन से प्रेेेरित आध्यात्मवादी।
(14) इन्होंने अपने जीवन में लगभग 28 पुस्तकेेंं प्रकाशित कीं,जिनमें निबन्ध,पद्य नाटक व कविताएँँ सम्मिलित हैं।
(15) गाँव कोसानी,जहाँँ इनका बचपन बीता, वहाँँ इनके उस घर को संंग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। यहाँ पर इनके
छायाचित्र पत्र,पुुुरस्कार,कविताएँ,मूल पांडुलिपियाँ सभी संरक्षित हैैैं।
बहुत अच्छी पोस्ट
thanks bharti ji.
marvelous !
thanks sameerji.
Nice post
thanks sk ji.
पोस्ट में कवि की जीवन उपलब्धियो् को सार्थक ढंग से समझाया गया है |
thanks pramod sir.