भक्ति ऐसी कौन सी की जाए की मोक्ष प्राप्ति हो सके ? Bhakti aisi kon si ki jaye ki moksh prapti ho sake ?
भक्ति : नमस्कार दोस्तों, ऐसी कौन सी भक्ति की जाए की मोक्ष प्राप्त हो सके ? कहा जाता है कि मनुष्य का जन्म ईश्वर प्राप्ति के लिए हैं | मोक्ष प्राप्ति के लिए है |तो जरूरी है भक्ति | क्योंकि
बिना भक्ति किए मोक्ष संभव नहीं है |तो ऐसे में कोन सी भक्ति की जानी चाहिए ?
दोस्तों , थोड़ी बहुत जानकारी मुझे प्राप्त हुई वो इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताने की कौशिश की है |
मोक्ष किसे कहते हैं ?
मोक्ष याने जहाँ महासुख हैं , परमसुख है , परमानंद है , क्षण भर का दुःख नहीं है , क्षण भर का कष्ट नहीं है , उसे मोक्ष कहते हैं |
दोस्तों, कहा जाता है कि हमारे हिन्दू धर्म में 33 हजार देवी देवताएँ हैं |इनमे से कौन से देव या देवी की भक्ति की जाए ? क्योंकि
माना जाता है कि जिस देव या देवी की भक्ति की जाए | उसी देवलोक मे जब हमारी आत्मा शरीर छोडती हैं तब जाती हैं |और तब तक वहाँ रहती हैं जब तक पून्य पूरे नहीं हो जाते |
पून्य पूरे होते ही फिर से जन्म -मरण की प्रक्रिया में आ जाते हैं |
ऐसा कौन सा कारण है कि हम जन्म मरण की प्रक्रिया में आते रहते हैं ?
जन्म-मरण के चक्रव्यूह मे आने का कारण ही यही है कि उनके कर्म साथ मे ही रहता है |अच्छे कर्म से पून्य कमाता है और बुरे कर्म से पाप |
पून्य कमाने से जब तक पून्य पूरे नहीं हो जाते तब तक वो जिस देव की भक्ति करते थे उनके सानिध्य (शरण) में रहता है | और
बुरे कर्मो का फल भुगतने के लिए उन्हें कर्मो के आधीन फिर से जन्म लेना ही पड़ता हैं |
ऐसी कौन सी भक्ति हैं जो कर्मो का बंधन ही ना रहे | जब तक कर्मो का बंधन रहेगा तब तक जन्म-मरण का चक्रव्यूह रहेगा ही रहेगा | क्योंकि
एक पल भी हम कर्म किये बिना नहीं रह सकते | सोते, जागते, उठते हर वक्त हमारा कर्म चालु ही रहता है |
घर्म की कुछ बातें
दोस्तों, इस संसार में इतने धर्म हो गए हैं कि किसकी बात करें ? लेकिन फिर भी एक बात तो जरूर बताना चाहता हूँ | कि
हर धर्म के अपने -अपने धर्म पुस्तक में खुद को महान बताया गया है | ऐसे में कौन सा धर्म सही है ये पता लगाना बहुत ही मुश्किल हो गया है |
क्योंकि कहा जाता है कि इस सृष्टि में मनुष्य की उत्पत्ति सिर्फ एक ही स्त्री -पुरुष से हुई हैं | लेकिन यहाँ अपने -अपने काम के आधीन
अलग -अलग जातियाँ हो गई | और अपने -अपने धर्म भी अलग हो गए |तो ऐसे में सही रास्ता ढूंढना मुश्किल हो गया है |
तो दोस्तों, अब हम बताने जा रहे हैं कि ऐसी कौन सी भक्ति की जाए की मोक्ष प्राप्ति हो सके ? जिस के बारे में बताने जा रहा हूँ वो
इस भक्ति से जुड़े हुए संतो द्वारा जानकारी प्राप्त हुई हैं | तो आइये जानते है..
इस भक्ति से जुड़े हुए संतो क्या कहते हैं ?
कहते हैं कि जिस किसी ने पिछले जन्म मे कुछ
अच्छे कर्म किये होंगे उसी को ये भक्ति जानने,
पढ़ने या सुनना मिल सकता है | अन्यथा किसी
को ऐसे ही नहीं मिल सकती |
कहते हैं कि ये भक्ति महाकाल से भी परे है | ये भक्ति
महाकाल के चक्रव्यूह मे नहीं आती हैं | ये भक्ति
महाकाल से भी उपर बैठे ‘परमात्मा राम’ की है | ये
कोई ‘सीता राम’ या ‘आत्माराम’ या कोई ‘श्री राम ‘ की
बात नही हो रही हैं |
कहते हैं कि देवी-देवताओं की पूजा या भक्ति करना
गलत नहीं है |वे भी सही है लेकिन ये भक्ति महाकाल
के चक्रव्यूह मे बंधी हुई हैं | ये भक्ति करने से सुख शांति
मिल सकती हैं लेकिन महासुख नहीं |
ये भक्ति सिर्फ खुद कि आत्मा के लिए ही करनी है |
कहते हैं कि || राम || शब्द के उच्चार आपके किए हुए
कर्म कटते हैं | जो कर्म अभी कर रहे हैं उस कर्म का
कोई बंधन नहीं रहता | या ने सिर्फ पून्य ही अपने साथ
रहता है |
कहते हैं कि ये भक्ति बताने से या समजाने से समजना
मुश्किल है | और समजमे न आने से विश्वास भी नहीं
आता है | आप खुद कोशिश करेंगे तो खुद को ही पता
चल जायेगा कि इस में है क्या ?
अगर आप एकांत जगह पर शांति से आधे घंटे तक रोजाना ये भक्ति करेंगे तो कुछ ही दिनों में कुछ ना कुछ तो अनुभव हो ही जाएगा |
कहते हैं कि ये भक्ति सभी भक्तियों से अलग है | क्योंकि इसमे ऐसे ऐसे नियम हैं जो समाज के दूसरे धर्मो के नियमो से विरुद्ध हैं |
ये भक्ति करना बहुत ही आसान है |लेकिन उससे जुड़े रहना बहुत ही कठिन है |
क्योंकि समाज के साथ रह कर भी समाज के रीती -रिवाजो को नहीं मानना या नहीं अपनाना हैं |
कहते हैं कि इसमे जुडते है तो आप देवी-देवताओं की पूजा या अर्चना नहीं कर सकते |क्योंकि ये सभी देवताओं महाकाल के चक्रव्यूह मे बंधे हुए हैं |
इससे जुड़ने से ना कोई पूजा पाठ , ना कोई उपवास या ना कोई अनुष्ठान की जरूरत है | अगर जरूरत है तो सिर्फ 24 घंटे में 30 मिनिट उनकी भक्ति करने की | इनका कोई समय फिक्स नहीं है |
कहते हैं कि अगर इनके नीति नियमो का पालन करेंगे तो आप जी ते जी मरे हुए इंसान से भी बात कर सकते हैं | इसमे कोई संदेह नहीं है |
कैसे करें ये भक्ति
आप सीधा बैठकर या आपको बैठने में सरल लगे या
बैठ नहीं सकते तो कोई भी पोजीशन में ||राम|| शब्द
का उच्चार श्वासोश्वास की क्रिया में लगातार बिना रुके
करना है |
दोस्तों, ऐसी थोड़ी बहुत जानकारी मैने यहाँ प्रस्तुत की
है | ये पोस्ट पढ़कर आपके मन में बहुत सारे सवाल
आते होंगे | तो आप जो भी सवाल हो वे comment
box मे जरूर लिखें | जवाब मिलने मे थोड़ा वक्त लग
सकता है | क्योंकि ये सवालो का जवाब उनसे जुड़े
संतो से लेना होगा |
नोंध : ये पोस्ट किसी को ठेस पहोचाने या गलत साबित करने के लिए नहीं है सिर्फ लोगों की जानकारी के लिए हैं |
धन्यवाद
लेखक : योगेशभाई पटेल
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आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है |
Thank you sir ji
Good post.
Thank you manju ji
Goood post
Thank you sir ji
bhot accha btaya aapne
Thank you sir