जान है तो जहान है बाकी सब खुला आसमान है :- मानव जीवन को अगर हम प्रकर्ती के साथ जोड़कर देखते है! तो हमें बहुत सी अन्सुल्झी बातों का पता चलता है! आज के युग का मनुष्य जिस तराह से प्रकर्ती से दूर होता जा रहा है! उस महान शक्ति को भुलता जा रहा है! जो संसार को बनाने वाली है! उसी के साथ वह कई रोगो का भी शिकार होता जा रहा है! और तराह – तराह के दुखों को अपने अंदर पैदा करता जा रहा है!
सुख और दुख :- सुख और दुख दोनों ही हमारे जीवन में जरूरी है! ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार धूप और छाया आते जाते रहते है! इसी तराह सुख और दुख भी हमारे जीवन में आते और जाते रहते है! जिस तराह भगवान ने मानव को बनाया है! उसी तराह इन्हें भी बनाया है! और इन्हें भी हमें दिल से स्वीकार करना चाहिये! परन्तु एक बात मे काफ़ी लंबे समय से देख रहा हूँ! आज का मनुष्य कई प्रकार के भयंकर रोगो का शिकार होता जा रहा है! कई रोग तो ऐसे भी हैं के जिनके बारे मे जानने मात्र से ही मानव के पसीने छूटने लगते हैं!
ऐसा क्यूँ होता है:- ऐसे बहुत से प्रशन मेरे सामने आकर खड़े होते हैं! तो मैने ये अच्छी तराह से महसूस कर लिया है! की मनुष्य का ये डर उस रोग को जनम दे रहा है! जो उसे मृत्यु तक ले जाकर ही दम लेगा!
(जीवन तो कितना अच्छा लगता है पर)
मृत्यु :- इसके नाम से ही हम डर के सागर में डूब जाते हैं! हमारा रोम – रोम काँप जाता है! कयूंकि हम मरना नही चाहते! यह संसार इतना आनंद देने वाला है की हम इसे छोड़ना ही नही चाहते! और जब भी कभी हम किसी रोग का शिकार होते हैं! तो हमें डर लगने लगता है! इस बात में कोई संदेह नही है की –
मौत अटल है :- मौत को आज तक कोई भी रोक नहीँ पाया ! तो फिर हम क्यों मौत से घबराते हैं! इसिलिये मौत का भी एक समय है विधाता ने सभी की रूप रेखा तेयार कर रखी है! जीवन की रोक मृत्यु ही है और इसे कोई रोक नहीँ सकता!
जीवन और मृत्यु :- जीवन और मृत्यु पर तो केवल प्रकर्ती का ही अधिकार है! उसी प्रकर्ती ने हमें जीने के लिए जल, वायु, अन्न, प्रकाश जैसे उपयोगी तत्व दीये हैं! और इतना ही नहीँ बल्कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए साग – सब्जी, फल और दवाइयाँ भी दी हैं! जीवन तो हमें शरीर के रूप में मिला है! और इस शरीर की रक्षा तो आप खुद ही करेंगे इस समय रोग चिंता का कारण बनते जा रहे हैं! क्योंकि हम अपने खान – पान में भूल करते हैं! और उल्टा – सीधा खाने से हमारी तबीयत ख़राब होने लगती है! और अगर हम सही समय पर रोग का इलाज नहीँ करते तो एक छोटा सा रोग ही बड़ी बिमारी का रूप ले लेता है! तो मेरे प्यारे मित्रों अपना और अपने शरीर का खयाल रखें! ताकि आप अनेको बिमरियो से बचे रहें! धन्यवाद, और आखिर में मैं सत्य पाल सिंह सर जी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कयूंकि उन्होने 10 लाख लोगों को रोज़्गार दिया इसके लिए सर का बहुत – बहुत धन्यवाद! मित्रों आपका दीन शुभ हौ इसी के साथ सबको जय श्री राम!
Good sir