सुखी घर, संसार
सुखी घर- सुखी घर संसार मैं व संस्कारों , वाले समाजों में शादी एक पवित्र और बहुत जरूरी व्यवस्था होता है।प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने इस व्यवस्था को लागू किया जिससे आने वाली पीढ़ी लंबी जीवन जी सके ,लंबी जीवन में साथी साथ रहता है ,तो जीवन सुगम हो जाता है।अभी भी लाखों परिवार इस व्यवस्था में जीवन जी रहे हैं, व प्राचीन ऋषियों के इस पद्धति के गुण गान करते हैं।
इंडिया मैं यह प्रथा यह थी कि शादी पहले होती थी, और मित्रता धीरे धीरे बढ़ती थी जो जीवन पर्यन्त चलती जाती थी।
घर मैं महिला के कार्य
- महिला घर संसार की लक्ष्मी होती है, महिला संतान उत्पत्ति के लिये बड़ी भाग्यवती है।संतान पैदा होने के बाद, पालन पोषण, एवं रोज खाने व कपड़े पहनने कि व्यवस्था करती ।घर पर आए मेहमानों का सेवा करती, व सुख व धर्म का कार्य करती हैं।व घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान करती हैं।घर के धन दौलत को संभालने व सही जगह पर खर्च करती हैं।घर की महिला हमेशा अपने कार्यों मैं निपुण होती हैं, पसन्न रहती हैं, व फुर्तीली होती हैं, व घर को स्वक्छ व सजाकर रखती हैं।
शादी योग्य पुरूष व महिला के गुण
साहसी व आत्मविश्वास से भरा हुआ और खुद पर पूरा भरोसा रखने वाले होते हैं।दिमाक से काम लेना व घर के समस्त भारों को उठाने मैं सक्षम होते हैं।हमेशा प्रसन्न रहते हैं व दूसरों को प्रसन्न रखते हैं।ह्रदय मैं उदारता होता है।ह्रदय मैं उदारता नहीं होगा तो पति -पत्नी, पिता -पुत्र, सास -बहू थोड़े थोड़े बात पर घर को लड़ाई का मैदान बना देंगे।
सुखी घर के आवश्यक साधन
1.पति पत्नी दूसरे व सगे संबंधियों का मान सम्मान करें। 2.स्वयं पसन्न रहें व दूसरों को भी प्रसन्न रखें। 3.आपसी प्रेम व त्याग की भावना बढ़ाना जरूरी है।4.एक दूसरे के जरूरतों को ध्यान रखना चाहिए।5.अभिमान, अकड़ को कम करें।
परिवार मैं प्रेम बनाये रखने के लिए किसी को बुरा लगने वाली बात न कहें।कई लोग ऐसे होते हैं जो दूसरे को चिड़ा कर ही खुश होते हैं, ऐसी स्वभाव को बदलने का ढंग यह नहीं हैकि इंट का जवाब पत्थर से दें अपतु उसे सही गलत के बारे मैं समझाये।
बहुत ही अच्छा लेख धन्यवाद
भैया आपसी तालमेल बिठाने से ही पारिवारिक शाँति होती है।
Nice
thanks