फिल्म अभिनेता फारुख शेख ,जिनके अभिनय को हर किसी ने सराहा
फिल्म अभिनेता :- मुस्लिम परिवार में जन्मेे फिल्म अभिनेता फारुख शेख पाँँच बहिन भाइयों में सबसे बडे़ थे। इनका जन्म
25 मार्च 1948 को बडो़दा जिले में एक जमींदार परिवार में हुआ। इन्होंने शिक्षा मुंबई मेें ग्रहण की। इन्होंने शुरुआत में
वकालत को ही पेशे के रूप में चुना,क्योंकि इनके पिता भी वकील ही थेे,लेेेकिन वकील के रूप में अपनी पहचान नहीं बना पाये
और अन्त मेंं अभिनय को कैरियर के रूप में चुन लिया।
सादगी भरा जीवन
सादगी से परिपूर्ण आकर्षक चेहरे वाले फिल्म अभिनेता फारुख शेख एक ऐसी छवि वाले व्यक्ति थे कि जब वे एक्ट्टिंग
करते थे,तो वे अपने से और जाने पहचाने से लगते थे। उनकी फिल्मों में कुुछ किरदार ऐसे रहे,जो हमें उनकी याद दिलाते
रहेंगे। जैसे:- नवाबी अंदाज में “उमराव जान” का नवाब,फिल्म “साथ- साथ “का लाचार बेरोजगार युुुवक और फिल्म
“चश्मेबद्दूर” का किरदार सिध्दार्थ पाराशर।
कैरियर की शुरूआत
सबसे पहले इनके कैैैैरियर की शुरुुआत थिएटर से हुई। इन्होंने भारतीय जननाट्य संघ(इप्टा) और जानेे माने निर्देेेशक
सागर सरहदी के साथ खूब काम किया। इनको भले ही सुपर स्टार का दर्जा न मिल पाया हो,लेकिन जीवन्त अभिनय
क्षमता,मेहनत व लगन के सहारे फिल्मी दुनियाँ में एक अलग ही छाप छोडी़। फारुख शेख ने फिल्मों के.साथ- साथ टी.वी.
तथा थिएटर में भी काफी योगदान दिया। फिल्मों में सक्रिय रहने के बावजूद इन्होंने रंगमंच को कभी नहीं छोडा़। तुम्हारी
अम्रता नामक नाटक बेहद सफल रहा,जो इन्होंने शबाना आजमी के साथ मंचित किया। यह नाटक ए. आर. गुनी के लव
लैटर्स पर आधारित था और दर्शकों को इन दोनों का साथ देखकर काफी सुखद अनुभूति हुई। इस नाटक का 300 बार मंचन
किया गया।
कोई हिचकिचाहट नहीं
फिल्म अभिनेता फारुख शेख एक ऐसे मंजे हुुुए कलाकार थे कि फिल्म के हर छोटे – बडे़ किरदार को बडी़ ईमानदारी से
निभाते थे। अभिनेत्री रेखा पर केेन्द्रित फिल्म उमराव जान में एक छोटा सा किरदार निभाने मेें उन्हें कोई हिचकिचाहट
महसूस नहीं हुुुई, जबकि उस समय पुरुष प्रधान फिल्मों का दौर था। उस फिल्म के पोस्टर में भले ही रेखा ही छाई हुई
थीं,लेकिन नवाब सुुुल्तान का अपना किरदार निभाकर अपनी भूूूमिका के साथ पूरा न्याय कर कोई कसर नहीं छोडी़। सन्
1973 मेें फिल्म गरम हवा में सहायक की भूमिका निभाकर अपनी सशक्त छाप छोडी़।
हिंसा व मारधाड़ वाली फिल्मों से अलग फिल्में
सत्तर के दशक में हालांंकि उस समय हिंसा व मारधाड़ से भरपूर फिल्मों का दौर था। और फिल्म अभिनेता अमिताभ
बच्चन अपनी ऐंंग्री यंगमैन की छवि गढ़ रहे थे,लेेेकिन उस समय फारुख शेख की सहज अभिनेेेता की पहचान बनी हुई थी
और वे गगन ,साथ-साथ ,कथा और उमराव जान जैैैसी फिल्मों के किरदार को निभाते रहे।
कई निर्देशकों के साथ किया काम
इन्होंन सईंं पराजपे ,ऋषिकेेश मुुुखर्जी ,केतन मेेेहता,मुुुजफ्फर अली और सत्यजीत रे जैसे विख्यात निर्द्देशकों केे साथ काम
किया और बेेहद जटिल किरदारों को सहजता के साथ निभाते रहे।
बहुत अच्छी जानकारी है
Thanks Vinod ji.